
Introduction : परिचय
रेबीज एक पुराने समय की और मानव समाज के लिए घातक बीमारी है । धरती पर रेबीज आज भी कई देशों में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है जैसे एशिया व अफ्रीका में , खासकर बच्चों के लिए यह रेबीज (Rabies in Children) बेहद खतरनाक है क्यूंकि बच्चे अक्सर पालतू और आवारा कुत्तों और अन्य जानवरों के संपर्क में आते रहते हैं । यदि समय पर इलाज ना मिले तो रेबीज मौत का कारण बनता है इस लिए हर माता पिता को रेबीज के बारे में जानकारी होना जरूरी है । हम इस लेख में रेबीज के बारे में जानेंगे –
What is Rabies : रेबीज क्या होता है ?
रेबीज एक वायरस से होने वाली बीमारी है यह वायरस brain और nervous system को प्रभावित करता है । यह वायरस संक्रमित जानवर जैसे कुत्ता बिल्ली के काटने , खरोचने और लार के संपर्क में आने से फैलता है । एक बार symptom आने लगें तो यह बीमारी लगभग जानलेवा होती है ।
Why are Children More Vulnerable to Rabies : बच्चे रेबीज़ के प्रति अधिक संवेदनशील क्यों होते हैं ?
बच्चे अक्सर जानवरों जैसे कुत्ते ,बिल्ली व अन्य जानवरों के साथ खेलते रहते हैं और कई बार बच्चे माता पिता को पता भी नहीं चलता कि बच्चे को जानवर ने काट लिया हैं क्योंकि बच्चे छोटे मोटे घाव को बताते भी नहीं है और इलाज में देरी होती है ।
छोटे शरीर की वजह से बच्चों में छोटे घाव में भी वायरस का असर ज्यादा होता है और अधिकतर चेहरे और हाथों पर काटे जाते है जहां से वायरस जल्दी दिमाग में पहुँच जाता है ।
Cause and Transmission : रेबीज का कारण और संक्रमण
रेबीज वायरस ( Lyssavirus ,family Rhabdoviridae ) संक्रमित जानवर की लार से फैलता है । बच्चों में इसके मुख्य कारण (cause of Rabies in Children) हैं –
- कुत्तों के द्वारा काटना (सबसे कॉमन कारण )और खरोंच लगाना
- बिल्ली के द्वारा काटना
- बंदर ,लोमड़ी, चम गादड़ जैसे जानवरों से
- संक्रमित जानवरों की लार ,खुले घाव, आँख, नाक या मुंह मे लगना
Symptom & Sign of Rabies in Children : रेबीज के लक्षण
रेबीज का incubation period 2 हफ्ते से कई महीनों तक हो सकता है और लक्षण धीरे धीरे आने लगते हैं – stages of Rabies in Children
1. प्रारंभिक लक्षण ( prodromal stage )– बुखार सिरदर्द थकान कमजोरी घाव वाली जगह पर दर्द जलन
2. तंत्रिका तंत्र पर असर (Neurological stage) –
- चिड़चिड़ापन व बेचैनी ( anxiety confusion )
- मुंह में ज्यादा लार आना ( Excessive salivation )
- पानी का डर ( hydrophobia )
- हवा का डर ( aerophobia )
- भ्रम और आक्रामक व्यवहार (Hallucination and aggression)
3. अंतिम अवस्था (Final Stage) –
लकवा (paralysis ) कोमा (coma) ,सांस रुकना और मौत (death )
Diagnosis of Rabies in Children : रेबीज का पता कैसे लगता है ?
लक्षण आने से पहले रेबीज का पता लगना बहुत मुश्किल है ,डॉक्टर के द्वारा काटे जाने के बारे मे पूछताछ और घाव की स्तिथि देखकर तय करते है ।
Lab test बच्चों में कम ही किए जाते हैं । Virus RT-PCR के लिए लार ,स्किन , CSF ,लिया जा सकता है , Brain tissue में Negri body मिलना
Prevention of Rabies : रेबीज से बचाव
रेबीज का बचाव ही सबसे बाद इलाज है ।
- जानवरों से सावधानी -बच्चों को सिखाएं कि वे आवारा कुत्तों या बिल्लियों से दूर रखे और उनको परेशान ना करें ।
- पालतू जानवरों का टीकाकरण -अपने पालतू कुत्ते और बिल्ली का रेबीज टीकाकरण करवाएं ।
- यदि किसी जानवर ने काटा हो या खरोंच लगाई हो तो -घाव को कम से कम 10-15 मिनट तक साफ पानी और साबुन से धोएं व जानवर की लार घाव से साफ करनी चाहिए ।
- घाव पर ऐन्टिसेप्टिक लगाएं ।
- घाव पर टांके ना लगाए बहुत ही जरूरी हो और रक्तस्राव ज्यादा हो तो कम से कम टांके लगाएं ।
- घाव को कसकर ना बाँधें ।
- Post Exposure Prophylaxis (PEP)– एंटी रेबीज वैक्सीन 4-5 इन्जेक्शन समय समय पर लगाए जाते है।
- डॉक्टरों के द्वारा माँसपेशी में ( intramuscular ) ARV vaccine 1ml खुराक 0,3,7,14,28 वें दिन लगाए जाते है और intradermal ID ARV vaccine 0.1 ml 0,3,7,28 वें दिन लगाई जाती है ।
- रेबीज इमुनोग्लॉब्युलिन RIG – गंभीर घाव ( categories 3 ) में घाव के अंदर और आसपास लगाया जाता है ।
- Pre Exposure Prophylaxis – जिन बच्चों मे अक्सर जानवरों का संपर्क रहता है, उनमे कुत्ते और जानवरों के काटने से पहले भी वैक्सीन (0,7,28 वें दिन )लगा सकते है
Treatment of Rabies : रेबीज का इलाज
दुर्भाग्य से रेबीज होने के बाद अभी तक इसका इलाज नहीं है । केवल supportive इलाज दिया जा सकता है इसीलिए कहा जाता है की रेबीज का बचाव ही इलाज है ।
इसकी जागरूकता के लिए 28 September को हर साल रेबीज दिवस (world rabies day ) मनाया जाता है ।

Categories of Rabies exposure (WHO Guidelines )
- Category 1.- जानवर का केवल छूना ,बिना घाव वाली त्वचा पर चाटना – इसमे कोई वैक्सीन की जरूरत नहीं होती है केवल लार को साबुन के पानी से धोना होता है
- Category 2.-Nibbling of uncover skin/ बिना खून के खरोंचे और रगड़ -इसमें वैक्सीन लगाना चाहिए
- Category 3.-गहरे घाव होना ,खून आना, आँख,नाक,मुंह में लार संपर्क आना – इसमे वैक्सीन और इमुनोग्लोबूलीन दोनों की जरूरत होती है ।
Myths and Misconception About Rabies in Children: रेबीज के बारे में धारणा
- “केवल आवारा कुत्ते रेबीज फैलाते हैं ।” -गलत , बिना टीके लगे पालतू जानवर भी वायरस फैला सकते हैं।
- “घरेलू नुसख़े काम आते है ।” गलत , केवल वैक्सीन और RIG ही बचाव करते हैं ।
- “अगर जानवर ठीक दिख रहा है तो टीकाकरण जरूरी नहीं है ।” गलत , वायरस लक्षण आने से पहले भी फैल सकता है ।
- “छोटे घाव से रेबीज नहीं होता है ।” गलत , छोटे घाव से भी वायरस फैल सकता है ।
Role of Parents and schools : माता पिता और स्कूल का रोल
- स्कूल में जागरूकता अभियान और कार्यक्रम चलाएं जाएं ।
- बच्चों को जानवरों के साथ सुरक्षित व्यवहार सिखाएं ।
- जानवरों के द्वारा काटे जाने पर तुरंत अस्पताल दिखाएं ।
Conclusion : निष्कर्ष
रेबीज़ बच्चों के लिए एक गंभीर लेकिन पूरी तरह से रोकी जाने वाली बीमारी है। समय पर सही कदम उठाकर हम अपने बच्चों को इस जानलेवा संक्रमण से बचा सकते हैं। माता-पिता का कर्तव्य है कि वे बच्चों को आवारा जानवरों से दूर रखें, पालतू जानवरों का टीकाकरण कराएँ और काटने की स्थिति में तुरंत अस्पताल पहुँचें। सावधानी ही सुरक्षा है। आशा करते है हमारे द्वारा लिखा गया ये टॉपिक Rabies in Children आपको पसंद आया होगा
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Disclaimer
this information is only for education purpose , not a substitute for professional medical advice or treatment. Always seek the advice of your Physician and Pediatrician .यह जानकारी एक शिक्षा और जागरूकता के उद्देश्य से है यह कोई चिकित्सा राय नहीं है, इलाज अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें ।