बच्चों में बुखार (Fever in Children) : कारण ,लक्षण और उपचार 5 Effective ways to Prevent fever

fever in children

Introduction : परिचय

बच्चों में बुखार (fever in children)होना एक सबसे आम समस्या है जिसकी वजह से बच्चे को अस्पताल या डॉक्टर के पास लाया जाता है । बचपन में लगभग हर बच्चे को कभी न कभी बुखार हो ही जाता है । बुखार अपने आप मे कोई बीमारी नहीं है बल्कि शरीर के द्वारा किसी संक्रमण या अन्य बीमारी की वजह से किया गया लक्षण है , माता पिता के लिए बच्चे का बुखार देखना चिंता का कारण हो सकता है लेकिन समय पर देखरेख से बुखार और इनके कारण से निपट जा सकता है । तो आइए आज जानते है बच्चे में बुखार के बारे में –

What is Fever in Children : बुखार क्या होता है ?

बच्चों में बुखार का मतलब है बच्चे के शरीर के तापमान का बढ़ जाना , बच्चे के शरीर का तापमान सामान्य तौर पर लगभग 98.6°F (37°C) होता है ,नवजात बच्चे में सामान्य तापमान 36.5°C से 37.5°C होता है , इससे ज्यादा तापमान का होना बुखार माना जाता है । Rectal temperature सबसे accurate होता है लेकिन यह मापना सहज नहीं होता है । Rectal temperature 38°C /100°F से ज्यादा बुखार को परिभाषित करता है । बड़े बच्चों में Axiilary tempearture 37.2°C /99°F से ज्यादा हो तो बुखार को परिभाषित करता है।

बुखार शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जो शरीर के द्वारा संक्रमण से लड़ने को दर्शाता है , कुपोषण (severe acute malnutrition) के बच्चों में संक्रमण होने पर भी बुखार नहीं आ पता क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है ।

Cause of Fever in Children :बच्चों में बुखार के कारण

बच्चों में बुखार कई कारणों से हो सकता है जिनमें से प्रमुख कारण निम्न होते है –

  1. वायरल संक्रमण (Viral Infection ) : सर्दी जुकाम , चिकनपॉक्स , फ्लू , वायरल दस्त ,डेंगू बुखार , Measles, Covid ,
  2. जीवाणु संक्रमण (Bacterial Infection ): गले का संक्रमण (pharyngitis ), कान का संक्रमण(ASOM) , tonsilitis ,मूत्र मार्ग का संक्रमण (UTI ), Pneumonia, Abscess, furuncle ,cellulitis ,bulus impetigo, typhoid
  3. टीकाकरण (Vaccination ): वैक्सीन के बाद भी कई बार बुखार और दर्द होता है जैसे DPT/ पेंटवालेन्ट
  4. दांत आना (teething ): इससे हल्का दर्द और बुखार हो सकता है लेकिन साथ में संक्रमण हो तो बुखार तेज होता है ।
  5. निर्जलीकरण और गर्मी से(dehydration ) :ज्यादा कपड़े पहनने(overdressing ) ,गर्मी मे खेलने से (hot weather )और निर्जलीकरण से अस्थाई रूप से तापमान बढ़ जाता है , इसी प्रकार नवजात (new born) बच्चे में दूध ना पिलाने या कम पिलाने से तापमान अस्थाई रूप से बढ़ जाता है और बुखार जैसे लगता है ।
  6. मलेरिया ,
  7. Meningitis – बुखार के साथ मिर्गी जैसे दौरे (seizures)
  8. लू- ताप घात (Heatstroke ) -गर्मियों के मौसम में
  9. Immnune cause -SLE ,JRA
  10. Kawasaki disease – यह बीमारी एक immune mediated vasculitis है जिसमें बुखार के साथ स्ट्राबेरी जैसी जीभ , lymph node में सौजन (cervical lymphadenopathy ),शरीर पर दाने , लाल आंखे (conjunctivitis )
  11. कैसर जैसे Leukemia – हालांकि यह rare cause होते हैं

Symptom with Fever : बुखार के साथ और लक्षण

बच्चों में बुखार के साथ अन्य लक्षण भी दिख सकते हैं – जैसे भूख कम होना , कंपकंपी होना(rigor) ,ठंड लगना (chills),पसीना आना , सिर दर्द ,बदन दर्द , गले में खरांश ,शरीर पर दाने

कुछ लक्षण विशेष बीमारी की तरफ इशारा करते है

  • Fever with rash (बुखार के साथ दाने )- खसरा (measles), रूबेला ,chickenpox, hand foot mouth disease (HFMD) ,meningococcemia, बच्चों में डेंगू ,टाइफॉइड ,Kawasaki disease
  • Fever with weight loss (बुखार के साथ वजन कम होना )- टीबी ,HIV, कैसर (Leukemia ) ,SLE
  • Fever with chills and rigor बुखार के साथ सर्दी और कंपकंपी – मलेरीया , UTI, septicemia ,abscess
  • Fever with cough बुखार के साथ बच्चों में खांसी – Pneumonia
  • fever with seizures / unconsciousness – दिमाग की बुखार (meningitis )
  • Fever with Joint pain बुखार के साथ जोड़ दर्द – Rhematic Fever
  • Fever with Abdomen pain बुखार के साथ पेट दर्द Typhoid ,Appendicitis की तरफ इशारा करती है
  • Fever with ear pain बुखार के साथ कान दर्द – Acute otitis media , mastoiditis
  • Fever with Burning micturition बुखार के साथ पेसाब में जलन UTI , cystitis ,pyelonephritis की तरफ इशारा करती है ।
  • Fever with Vomiting and Icterus बुखार के साथ पीली आंखे और उल्टी – बच्चों में पीलिया( Jaundice ) की तरफ इशारा करती है

fever के कुछ Course होते है जैसे

  • Continuous fever (सतत बुखार) – बुखार लगातार सामान्य सीमा से ऊपर रहता है और उतार चढ़ाव 1°C से ज्यादा नहीं होता जैसे वायरल बुखार
  • intermittent fever (रुक रुक कर आने वाला बुखार) -तापमान केवल कुछ समय के लिए ही बढ़ता है और 1°C से ज्यादा उतार चढ़ाव आता है जैसे , malaria ,sepsis
  • Remittent fever( लहरदार बुखार ) – उतार चढ़ाव 2°C से ज्यादा होता है और सामान्य सीमा से ऊपर ही रहता है Enteric/typhoid fever (step leader pattern)
  • Saddleback fever – इसमें 2-3 दिन बुखार, फिर 2-3 दिन सामान्य जैसे डेंगू बुखार
  • Pel -Ebstein fever -इसमें 3-10 दिन बुखार, फिर 3-10 दिन सामान्य जैसे Hodgkin lymphoma
  • Undulant fever -इसमे तापमान धीरे धीरे बढ़ता है और धीरे धीरे कम होता है जैसे Brucellosis
  • Tertian / Quartan fever – हर 3, 4 दिन से बुखार होना जैसे malaria
  • Quotidian fever -रोजाना बुखार आना जैसे sepsis

Measurement of Fever : बुखार कैसे मापा जाता है ?

बुखार को जाँचने के लिए डॉक्टर palpation method का उपयोग करते है इसमें हाथ और उंगलियों के पिछले हिस्से से बच्चे के माथे शरीर के अन्य हिस्सों को स्पर्श क्या जाता जाता है और तापमान का अंदाजा लगाया जाता है –

फिर भी बुखार को निश्चित करने के लिए तापमापी (thermometer ) का उपयोग करना चाहिए ।

Thermometer में डिजिटल Thermometer सबसे safe है और इसको काम में लेना भी आसान है ।

बच्चों में मुंह से(oral temperature ) , बगल से (Axillary temperature), और गुदा से (Rectal temperature )तापमान लिया जाता है जिसमें बगल से(Axillary temperature) लिया जान वाला तापमान वाला तरीका काम में लिया जाता है जो सबसे आसान है । इनकी accuracy इस प्रकार है – Rectal temperature > oral temperature > Axillary temperature

Investigation and Diagnosis based on Fever : बुखार में जांच और निदान

बच्चों में बुखार की अवधि, बुखार की तीव्रता , बुखार के साथ माता पिता द्वारा बताए गए लक्षण के आधार पर डॉक्टरों द्वारा बीमारी का पता लगाया जाता है ।

अधिकतर बीमारियाँ माता पिता के द्वारा दी गई जानकारियों और कुछ पूछे गए प्रश्नों के उतरों के आधार पर (medical History ) के आधार पर ही पकड़ में आ जाती है फिर भी Diagnosis के लिए सामान्यतया की जाने वाली जाँचे निम्नानुसार है –

  • खून की जाँचे – CBC with DLC, PBF, CRP, MP test , dengue NS1, IgG, IgM, widal
  • पेसाब की जाँचे – urine routine / microscopy , urine albumin/ sugar, urine dipstick
  • छाती का X-ray – टीबी और निमोनिया के लिए
  • Culture and sensitivity –
  • CSF – यदि दिमाग की बुखार meningitis का शक हो तो
  • Throat swab culture – गले में लम्बे समय से तकलीफ हो तो
  • stool examination –
  • Viral marker – जैसे HIV, EBV

Treatment of Fever : बुखार और इनके कारण का इलाज

बुखार में क्या करें ? हल्के बुखार को घर पर देखभाल करके ठीक किया जा सकता है , बच्चों में बुखार का घरेलू उपचार निम्नानुसार है –

  1. तरल पेय पदार्थ ज्यादा दें – जैसे पानी ,ORS का घोल , दूध
  2. हल्के कपड़े पहनाएं –
  3. कमरे का तापमान सामान्य रखे – ज्यादा ठंड और ज्यादा गरम दोनों ही नुकसानदायक होते है ।
  4. तेज बुखार में पूरे शरीर पर बारी बारी से गीली रुमाल से पट्टी (Cold sponging )करें ।
  5. बच्चे को पर्याप्त आराम दें
  6. हल्का और पौष्टिक आहार दें जैसे फल , खिचड़ी
  7. बच्चे को बुखार की दवा पैरासेटामॉल दें जो वजन के अनुसार देनी चाहिए , ध्यान रहे बच्चा अगर हल्की बुखार में सक्रिय आरामदायक स्थिति में है तो हर बार बुखार की दवा की जरूरी नहीं है । क्योंकि हल्का बुखार संक्रमण के खिलाफ रोग प्रतिरोधकता का काम करता है

तेज बुखार और इसके साथ मोजूद लक्षण के बारे मे डॉक्टर से राय लेनी चाहिए

डॉक्टर बच्चे की history, physical examination and investigation के अनुसार Diagnosis करके इलाज करते है , बुखार का इलाज कारण के अनुसार निर्भर करता है जैसे टीबी में antitubercular medicine /DOTS, मलेरीया मे antimalarial medicine ,जीवाणु संक्रमण मे Antimicrobial medicine , Kawasaki disease में IVIG, ऐस्प्रिन इत्यादि दी जाती है । डेंगू जैसी बीमारियों में painkiller(NSAID) नहीं देने चाहिए क्योंकि वो ब्लीडिंग के चांस बढ़ा देते है ।

Prevention of fever : बच्चों में बुखार के बचाव के तरीके

हर बच्चे को संक्रमण से बचाकर बुखार से बचाया जा सकता है इसके लिए निम्न सावधानियाँ बरतनी चाहिए –

  1. समय पर टीकाकरण (Immunisation )- टीकाकरण से बच्चे को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है जैसे टीबी,खसरा ,रूबेला ….
  2. हाथ धोने की आदत(Good Hygiene ) – खाने से पहले और बाद में साबुन से अच्छी तरीके हाथ धोने चाहिए
  3. साफ भोजन और पानी (Safe food and water )- साफ पानी से टाइफॉइड जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है ।
  4. मच्छर से बचाव(Mosquito Control ) – मलरिया और डेंगू से बचाव
  5. संतुलित आहार(Balanced Diet ) – बच्चों को केवल दूध नहीं पिलाना चाहिए 6 महीने के बाद संतुलित आहार देना चाहिए ।

Conclusion : निष्कर्ष

बच्चों में बुखार बहुत आम है और ज्यादातर मामलों में यह गंभीर नहीं होता। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का संकेत है कि वह संक्रमण से लड़ रही है। माता-पिता को बच्चे को आराम, पर्याप्त तरल और हल्का आहार देना चाहिए। दवा केवल जरूरत पड़ने पर दें और कभी भी खुद से गलत दवा न दें।

अगर बुखार लंबे समय तक रहे, बहुत ज्यादा हो या बच्चे में गंभीर लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। सही जानकारी और सावधानी से बच्चे को सुरक्षित रखा जा सकता है।

Disclaimer :

this information is only for education purpose , not a substitute for professional medical advice or treatment. Always seek the advice of your Physician and Pediatrician .यह जानकारी एक शिक्षा और जागरूकता के उद्देश्य से है यह कोई चिकित्सा राय नहीं है, बीमारी का इलाज अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें।

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