
Introduction- Jaundice in children: परिचय
बच्चों में पीलिया एक आम लेकिन महत्वपूर्ण समस्या है । इसमें बच्चे की त्वचा ,आँखों का सफेद हिस्सा पीला होने लगता है । पीलिया खून में बिलीरूबिन नामक पदार्थ की अधिकता के कारण होता है यदि समय पर इस पर ध्यान नहीं दिया जाए तो ये गंभीर समस्या का रूप ले सकती है जैसे Bilirubin Encephalopathy ( पीलिया का दिमाग में चढ़ना )
What is Jaundice : पीलिया क्या है
जब खून में मौजूद RBC लाल रक्त कोशिकाएं टूटती हैं तो उसमे पाया जाने वाला heme बिलिवर्डीन और बिलीरूबिन में बदलता है जिसका कलर पीला होता है । इस बिलीरूबिन को सामान्यतः लीवर द्वारा आंत के माध्यम से बाहर निकाल दिया जाता है । लेकिन अगर लीवर सही से काम नहीं करे या बिलीरूबिन की मात्रा बढ़ जाए तो बच्चा पिलीया से ग्रसित हो जाता है ।
Type of Jaundice : बच्चों में पीलिया के प्रकार
- Neonatal Jaundice :- नवजात शिशुओं में पीलिया – यदि जन्म से लेकर एक महीने तक के बच्चे मे पीलिया हो तो इसे नीओनैटल जॉन्डिस कहा जाता है जो सामान्य physiological Jaundice भी हो सकता है और Pathological Jaundice भी ।
- Hepatitis – लिवर मे वाइरल इन्फेक्शन जैसे hepatitis A,B,C वाइरस से संक्रमण हो जाए तो पीलिया हो जाता है
- Obstructive Jaundice :- जब पित्त नलिकायों में रुकावट हो या जन्मजात लीवर और पित्त नलिकायों की बनावटी रुकावट Biliary Atresia
- Hemolytic Jaundice :- अत्यधिक लाल रक्त कणिका RBC का किसी कारण वस अत्यधिक टूटना
Level of Billirubin : बच्चों में पीलिया कितना होना चाहिए ?
हालांकि जन्म के बाद थोड़ा बिलीरूबिन बढ़ता है पहले दिन तक टोटल बिलीरूबिन 5 mg /dl ,दूसरे दिन तक 10 और 3 दिन के बाद 15 तक सामान्य माना जाता है लेकिन कुछ रिस्क फैक्टर जैसे समय से पहले जन्मा बच्चा ,sepsis ,G6PD deficiency, ABO व Rh mismatch, आदि मे यह तेजी से बढ़ने के चांस होते है
Direct Billirubin 1.5 mg /dl से हमेशा कम होना चाहिए ।
Gastation specific billirubin chart के अनुसार बिलीरूबिन का लेवल नवजात शिशु की उम्र के अनुसार देखा जाता है
Symptom and Sign of Jaundice : बच्चों में पीलिया के लक्षण
- त्वचा और आँखों का पीला होना
- पेसाब का कलर गहरा पीला होना और मल का कलर हल्का या सफेद होना
- भूख कम लगना व बार बार उल्टी होना
- बच्चे का शुश्त होना
- थकान कमजोरी चिड़चिड़ापन
- त्वचा में खुजली
- बुखार सिरदर्द
- पेटदर्द
- मिर्गी के दौरे (Bilirubin Encephalopathy )
Cause of Jaundice : बच्चों में पीलिया के कारण , बच्चों में पीलिया क्यूँ होता है ?
- जन्मजात पीलिया (Neonatal Jaundice)
- Breastfeeding Jaundice -माँ का दूध कम मिलने की वजह से पीलिया
- समय से पहले जन्मे बचों में (Prematurity )
- माँ और बच्चे का ब्लड ग्रुप का मेल ना खाना( Rh incompatibility )
- संक्रमण (sepsis )
- लीवर व पित्त नलिकायों की बीमारी और रुकवाट (hepatitis , Biliary atresia )
- रक्त संबंधित बीमारियाँ जैसे spherocytosis, thalassemia
- कुछ drugs की वजह से भी पीलिया होता है जैसे hemolytic drug , hepatotoxic drug
- Internal bleeding से नवजात बच्चों मे भी पीलिया हो जाता है जैसे ICH,
- कुछ जन्म जात बीमारी जैसे Dubin Johnson syndrome ,Gilbert syndrome
Diagnosis of Jaundice :पीलिया की जाँच
नवजात शिशु में Kramer Criteria से पीलिया मे बिलीरूबिन लेवल का पता देखकर भी पता लगाया जा सकता है पीलिया मे बिलीरूबिन का लेवल बढ़ने पर Cephalocaudal direction (सिर से पैर की तरफ) पीलापन बढ़ता है , जैसे सिर और गरदन तक पीला होने पर 5mg /dl के आसपास , छाती के तक पीला होने पर 8 mg /dl के आसपास ,जांघ और घुटने तक 12 mg /dl के आसपास ,और हथेली और पैरे की sole तक पीलापन हो तो 15mg /dl के आसपास या इससे अधिक टोटल बिलीरूबिन हो सकता है
बड़े बच्चों में आँखों के सफेद हिस्से को देखकर पीलिया का पता लगाया जाता है फिर भी कारण और लेवल जानने के लिए डॉक्टर द्वारा पीलिया के लिए निम्न जाँचे करवाई जाती हैं –
- TCB- transcutaneous bilirubinometry -इसमे एक मशीन को बच्चे के माथे की या कान के पिन्ना की त्वचा या छाती या पीठ की त्वचा पर रखकर जाँच की जाती है
- TSB- Total serum bilirubin इसमें बच्चे का खून का सैम्पल लेकर उसमे सीरम मे बिलीरूबिन के लेवल की जाँच की जाती है जिससे total bilirubin ,direct और indirect bilirubin पता लगाया जाता है ।
- Blood grouping /Rh typing – माँ का और बच्चे का कौनसा खून है इसकी जाँच की जाती है ।
- CBC और TORCH इन्फेक्शन की भी जाँच की जाती जिससे पता चले की कितना खून है कहीं ज्यादा RBC टूटने की वजह से तो पीलिया नहीं है
- LFT – बड़े बच्चों में लीवर की condition जानने के लिए LFT liver function test (Sgot ,Sgpt Alp ) , hepatitis screening करवाई जाती है
- Ultrasound ,Liver biopsy and ERCP– कभी कभी लीवर और पेट की स्थिति देखने के लिए सोनोग्राफी की जरूरत पड़ती है ।
Prevention of jaundice : बच्चों में पीलिया का बचाव
- गर्भावस्था के दौरान माँ का Blood Group , torch स्क्रीनिंग ,Hepatitis screening और अन्य नियमित जाँच और इलाज लेना
- नवजात बच्चे को पर्याप्त स्तन पान करवाना
- सम्पूर्ण टीकाकरण करवाना (विशेषकर हेपटाइटिस B का टीका )
- संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छता बनाए रखना ,दूषित भोजन और पानी से बचना
- बच्चों का नियमित health checkup करवाना
Treatment of Jaundice : बच्चों में पीलिया का इलाज
बच्चों मे पीलिया का इलाज बच्चे की उम्र और पीलिया के कारण और प्रकार के आधार पर किया जाता है
- Physiological Jaundice – नवजात बच्चों में होने वाला यह पीलिया अक्षर बिना इलाज के अपने आप ठीक हो जाता है माँ को पर्याप्त दूध पिलाना चाहिए
- Phototherapy– Pathological Jaundice के लिए नवजात बच्चे को नीली रोशनी में Phototherapy मशीन के नीचे रखा जाता है जिसमें बच्चे की त्वचा से बिलीरूबिन पानी में घुलनशील chemical में बदलकर पेसाब और मल के साथ शरीर से बाहर निकाल जाता है ।
- Exchange Transfusion – बहुत ज्यादा बिलीरूबिन होने पे Bilirubin Encephalopathy ( kernicterus ) से बचाने के लिए नवजात बच्चे का खून बदलना पड़ता है जिससे अधिक बिलीरूबिन वाला खून शरीर से बाहर निकाला जाता है और उसकी जगह fresh blood रिप्लेस किया जाता है यह process आईसीयू में प्रशिक्षित डॉक्टर की टीम द्वारा किया जाता है।
- Medicine and injection – संक्रमण और लिवर रोग के लिए डॉक्टर द्वारा मेडिसन दी जाती है जैसे लिवर टॉनिक,dehydration से बचाने के लिए iv fluid ,ऐन्टीवाइरल ,ऐन्टीबैक्टीरीअल,interferon ,
- Surgery – अगर पित्त नलिका में रुकावट जैसे Obstructive Jaundice ,Biliary Atresia में kasai procedure
- Liver Transplant -अगर लिवर की गंभीर बीमारी की वजह से लिवर फैल्यर हो तो
Conclusion : निष्कर्ष
बच्चों में पीलिया आम समस्या है लेकिन समय पर पहचान और इलाज से इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। माता-पिता को चाहिए कि वे लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें और घर पर घरेलू उपायों पर ही निर्भर न रहें। स्वस्थ जीवनशैली, स्वच्छता और समय पर टीका करण से बच्चों को पीलिया से बचाया जा सकता है।
Disclaimer
this information is only for education purpose , not a substitute for professional medical advice or treatment. Always seek the advice of your Physician and Pediatrician .यह जानकारी एक शिक्षा और जागरूकता के उद्देश्य से है यह कोई चिकित्सा राय नहीं है, इलाज अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें ।